Wednesday, March 16, 2011

संग दिल कितना हो रहा है शहर, गम में भी न, रो रहा है शहर. ....


11 comments:

  1. Ami Bhai Bahut Khub Maujoda Haalat Aur Apne Ehsasaat Ko Aap Ne Khubsurti Se Nibhaya Hai.

    Asrar Ahamad Razi

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  2. बेहद शानदार ………आज के हालात का सजीव चित्रण कर दिया।

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  3. बहुत सार्थक और सटीक अभिव्यक्ति..हरेक शेर दिल को छू लेता है..

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  4. wah ami ji...badi khubsurti se saher ko bataya hai aap ne....bahot acchi gazal hai...

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  5. होली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  6. हर शहर कि कहानी ....सुन्दर गज़ल

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  7. बहुत सार्थक और सटीक

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  8. ..संग दिल कितना हो रहा है शहर .
    .सच में कितना संग दिल हो रहा है सहर ..कितना दर्द है आज हर जगह उस दर्द को बहुत सुंदर तरीके से अभिव्यक्त किया है आपने आपका आभार

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  9. Bahut badiya, Ami..........
    chhu gaya tu aaj ke us kaale, andhere samay ko.........

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