एक दरख्त, ये ब्लोग है मेरी गज़लो का जिसके जरीये मैं आप तक अपनी गज़ले पहुचाना चाहता हुँ, उम्मीद करता हुँ, आप सभी इसे पसंद करेगें................
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
दृष्टि का प्रकाश सबसे अच्छा disinfectant है ।क्योंकि इसमें चीजें स्पष्ट झलकती हैं ।भ्रष्टाचार खत्म करने का भी सबसे अच्छा उपाय पारदर्शिता ही है ।जिसके लिये श्री अण्णा हज़ारे आदि आमरण अनशन पर बैठे हैं ।हम सब भी उनका सहयोग करें ।बहुत ख़ूब अमितेष, हमारे इस तरह के छोटे छोटे प्रयास ही आदरणीय अण्णा जी को संबल प्रदान करेंगे ।
Very Nice Amitesh, we need such Ghazals to wake up now...:-)
सच्चाई को कहती अच्छी गज़ल ..
waah kitni badi baat kahi hai...
बहुत सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति..आज इसी ज़ज्बे के ज़रूरत है.
thumbs up!!!
kya baat hai , sahi , ami goig good , keep it up buddy
Wah Saheb ...........Aap mashal jalae rakho andhera zaroor door ho jaegadinesh k. b.
bahut accha tarika hai samarthan karne ka....
again its laajwab dear.....
संवेदनशील भाव..... प्रभावित करती हैं यथार्थ परक पंक्तियाँ .....
acchi poem acche vichar
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 12 - 04 - 2011को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति.
उंगलियाँ सब पर उठाते रहें हमआईने से चेहरा छुपाते रहें हम !दुनिया की यही सच्चाई है !सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति !
kadve sachh ko nirvastr karti sateek rachna.
behtareen gajlo ka rasaswadan hua aapke blog par, follow karna chahunga
एकदम सामयिक , बेहद तीखा, यह नज़र बरकरार रहे....सादर...
अजीम भाई, आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूं। बहुत प्यारा लिखते हैं आप। और हां,आपके ब्लॉग का टेम्पलेट भी बहुत प्यारा है।............ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
एक एक पंक्ति अपने भाव की साक्षी है..सुन्दर और यथार्थ रचना..!!
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बहुत खूब !...... हरेक शेर लाज़वाब..
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
ReplyDeleteदृष्टि का प्रकाश सबसे अच्छा disinfectant है ।
ReplyDeleteक्योंकि इसमें चीजें स्पष्ट झलकती हैं ।
भ्रष्टाचार खत्म करने का भी सबसे अच्छा उपाय पारदर्शिता ही है ।
जिसके लिये श्री अण्णा हज़ारे आदि आमरण अनशन पर बैठे हैं ।
हम सब भी उनका सहयोग करें ।
बहुत ख़ूब अमितेष, हमारे इस तरह के छोटे छोटे प्रयास ही आदरणीय अण्णा जी को संबल प्रदान करेंगे ।
Very Nice Amitesh, we need such Ghazals to wake up now...:-)
ReplyDeleteसच्चाई को कहती अच्छी गज़ल ..
ReplyDeletewaah kitni badi baat kahi hai...
ReplyDeleteबहुत सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति..आज इसी ज़ज्बे के ज़रूरत है.
ReplyDeletethumbs up!!!
ReplyDeletekya baat hai , sahi , ami goig good , keep it up buddy
ReplyDeleteWah Saheb ...........Aap mashal jalae rakho andhera zaroor door ho jaega
ReplyDeletedinesh k. b.
bahut accha tarika hai samarthan karne ka....
ReplyDeleteबहुत सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति..आज इसी ज़ज्बे के ज़रूरत है.
ReplyDeleteagain its laajwab dear.....
ReplyDeleteसंवेदनशील भाव..... प्रभावित करती हैं यथार्थ परक पंक्तियाँ .....
ReplyDeleteacchi poem acche vichar
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 12 - 04 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteउंगलियाँ सब पर उठाते रहें हम
ReplyDeleteआईने से चेहरा छुपाते रहें हम !
दुनिया की यही सच्चाई है !
सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति !
kadve sachh ko nirvastr karti sateek rachna.
ReplyDeletebehtareen gajlo ka rasaswadan hua aapke blog par, follow karna chahunga
ReplyDeleteएकदम सामयिक , बेहद तीखा, यह नज़र बरकरार रहे....
ReplyDeleteसादर...
अजीम भाई, आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूं। बहुत प्यारा लिखते हैं आप। और हां,आपके ब्लॉग का टेम्पलेट भी बहुत प्यारा है।
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ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
एक एक पंक्ति अपने भाव की साक्षी है..
ReplyDeleteसुन्दर और यथार्थ रचना..!!
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ReplyDeleteबहुत खूब !...... हरेक शेर लाज़वाब..
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