Sunday, January 30, 2011

तितलियों को भी मुकम्मिल शान चाहिये...


जुगनू हैं, तितलीयां हैं, कलेजा हैं बेटियां !!

बालिग ना हुई और नसीबा तो देखिए !
दस-ग्यारह बरस की कई बेवा हैं बेटियां !!

बेटे तो बीबीयों को अपनी लेके चल दिए !
बूढों की लाठियां और कांधा हैं बेटियां !!

फुरसत मिले तो इनको ज़रा पढ़ भी लीजिए !
कुरान, बाईबल और गीता हैं बेटियां !!

नन्ही कली ओ बादे-सबा 'दर्द' की गज़ल !
क्या-क्या बताऊं आपको क्या-क्या हैं बेटियां !!


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