Saturday, May 21, 2011

रोटी, बर्तन, चूला, चौखट, हाथ के छाले वाली माँ....



19 comments:

  1. बहुत सुन्दर है अमी इतना प्यार देख कर माँ की याद आ गयी मुझे.............
    काश वो आज ज़िंदा होती तो उसे पढकर सुनाता यह सब........

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  2. Even I liked the poem...emotionally explained the relationship..

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  3. bahut sundar rachna
    achche shbd badhai

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  4. ISHWAR KI SABASE KHUBSURAT KRATI MA
    JISAKE BINA ISHAWAR BHI ADHURA HAI

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  5. अमितेश भाई ! आपकी रचना बहुत पसंद आई........लेकिन अफ़सोस मुझे अपनी पैदा करने वाली से ऐसे कोई तजुर्बे नहीं मिले.

    हाँ ! जिन्होंने मेरी परवरिश की और दुलार दिया उनके क़दमों की धूल सर-माथे.

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  6. खुसुरत अशआर पढ़वाने के लिए शुक्रिया मित्र

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  7. bahut samay baad pada...shyad aapke alfaz mujhe kahi na kahi yaad aate rahte hai.....

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  8. प्रगति मैदान में हुई मुलाकात पर एक रिपोर्ट पढ़िये <a href=" http://nayi-purani-halchal.blogspot.in/2012/03/blog-post_04.html

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  9. प्रगति मैदान में हुई मुलाकात पर एक रिपोर्ट पढ़ियेनई पुरानी हलचल

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  10. प्रगति मैदान में हुई मुलाकात पर एक रिपोर्ट पढ़ियेनई पुरानी हलचल बार-बार गलत लिंक दिया जा रहा था। इस बार सही है। आपकी पोस्ट का जिक्र देखिये...

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  11. भाव जगत में जीवित है माँ इस कविता में हम सकी भी .

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  12. mother.... perhaps it means .. sacrifice upto death... for their.. children.../plz visit my blog...

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  13. लाजवाब ... कमाल के शेर हैं सभी ... माँ के बिन जीवन खाली खाली है ...
    कितनी यादों को संजोया है ...

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  14. वाह! बहुत सुन्दर.
    माँ का अनुपम चित्रण किया है आपने.

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  15. वाह बहुत खूब .......माँ के प्रति प्यार शब्दों के रूप में ..उम्दा

    होली की शुभकामनएं

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  16. बहुत सुंदर रचना. आपने कितने खूबसूरत शब्दों में माँ के महत्व को बारीकी से प्रस्तुत किया है..मन भीग गया. रचना पर बधाई और नारी दिवस व होली की शुभकामनायें.

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