Sunday, February 27, 2011

भटकती कश्तियों को अपना ठिकाना मिले....




तेरे मेरे बीच कोई दूरी ना रहे 
तमन्ना कोई भी हो अधूरी ना रहे

13 comments:

  1. वाह ……………बेहतरीन शेरो से सजी खूबसूरत गज़ल बहुत पसन्द आई।

    ReplyDelete
  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete
  3. kitni khubsurti se kitni sacchi baat kah de ami...bahot he behtaren gazal hai...

    ReplyDelete
  4. Really very nice poem.
    I liked it!
    Your dream comes true!, I wish 4 U!11

    ReplyDelete
  5. dinodin nikarte ja rahe ho.....kya baat hai janaab!!

    ReplyDelete
  6. इस गज़ल में बहुत सी शुभकामनाएँ हैं ! 'अमि' को भी आशियाना जरूर मिले । धन्यवाद !

    ReplyDelete
  7. बहुत अच्छी ग़ज़ल है। सुंदर रचना के लिए साधुवाद!

    ReplyDelete
  8. बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...

    ReplyDelete
  9. बेहद शानदार अशआर.....
    बहुत खूब कहा है आपने ...।

    ReplyDelete
  10. I m sure...U will definately get ur 'Aashiyana'..just like 'Faakta'

    ReplyDelete
  11. Aashiyana jarur milaga jaha panah


    good

    ReplyDelete
  12. बेहतर चल रहे हैं आप....वाह...

    ReplyDelete