एक दरख्त, ये ब्लोग है मेरी गज़लो का जिसके जरीये मैं आप तक अपनी गज़ले पहुचाना चाहता हुँ, उम्मीद करता हुँ, आप सभी इसे पसंद करेगें................
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
'अमी' तुमने,महक गुलाब की चुरा के खुद में बसाली चाँद की चाँदनी नज़्म में उतारली भौरे अब तेरे इर्दगिर्द मंडराया करेंगेचांदनी नग्मे बज्म में छिटकाया करेंगे.
maza aa gaya.....good work..
वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDelete'अमी' तुमने,
ReplyDeleteमहक गुलाब की चुरा के खुद में बसाली
चाँद की चाँदनी नज़्म में उतारली
भौरे अब तेरे इर्दगिर्द मंडराया करेंगे
चांदनी नग्मे बज्म में छिटकाया करेंगे.
maza aa gaya.....good work..
ReplyDeleteवाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...
ReplyDelete