Saturday, January 31, 2015

कविता

उनके नाम में कविता
अपने काम में कविता

लाखो की हजारों की
फ्री में, दाम में कविता

कोठो पर गिलासों में
हर इक जाम में कविता

संसद की सियासत के
दायें वाम में कविता

पूजा में, नमाजों में
मौला राम में कविता

ग़ालिब में कबीरा में
मीरा श्याम में कविता

सड़को पर ठिकानों पर
आठों याम में कविता

रोटी की जरुरत के
झंझट झाम में कविता

सावन से बहारों तक
ऊषा शाम में कविता

कविता देश अपना है
है हर ग्राम में कविता

#अमितेष

5 comments:

  1. वाह हर शै में कविता का रंग घोल दिया ...
    लाजवाब ग़ज़ल ...

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  2. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (02-02-2015) को "डोरबैल पर अपनी अँगुली" (चर्चा मंच अंक-1877) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. जिंदगी भी एक कविता है ,हर कोई इसे पढता है अपने अपने ढंग से l
    newpost कहानी -विजयी सैनिक
    : रिश्तेदार सारे !

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  4. बहुत सुन्दर कविता

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